भाग्य और पुरुषार्थ की तुलना ताश के खेल से की जा सकती है..
ताश के खेल में अच्छे या बुरे पते आना हमारे भाग्य के फल के सामान है, परन्तु
उन पत्तों से हम किस प्रकार खेलते हैं, यह हमारे पुरुषार्थ के सामान है..
ताश के खेल में अच्छे या बुरे पते आना हमारे भाग्य के फल के सामान है, परन्तु
उन पत्तों से हम किस प्रकार खेलते हैं, यह हमारे पुरुषार्थ के सामान है..
No comments:
Post a Comment