Monday, June 11, 2012

ख्वाहिश

जरूरत के हिसाब से "जिन्दगी" जिओ, ख्वाहिश के हिसाब से नहीं,
क्योंकि जरूरत तो "फकीर" की भी पूरी हो जाती है, और ख्वाहिश,
"बादशाह" की भी अधुरी रह जाती है..!!

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